लुका छुपी
दाम देने वाला गिनता है,
तीस तक गिनती ।
बाकी सब करते,
छुपे रहने की विनती
।
कभी लोग छुपते टेबल के नीचे ,
या कभी छुपते परदे के पीछे ।
दाम देने वाला किसी को ढूंढ रहा है ,
कोई कही मिल जाए ।
कोई कही मिल जाए ।
कोई पकड़ के जीत जाए ,
कोई छुपे ही रह जाए ।
दाम देने वाला ढूनदता दाई और बाई,
इसी को कहते है छुपन - छुपाई ।
-तूलिका तिवारी
Superb poem tulika
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