कान्हा
ता ता थैया ,
कृष्ण कन्हैया ,
बाँसुरी बजाए।
गाय को नचाए🐄।
माथे ऊपर,
माथे ऊपर,
मोर पंख सजाये🦚।
माखन चोर कहलाए।
इसलिए सब कहते
"माखन चोर,
मटकी फोड़ "
अपनी धुन में,
मटकी फोड़ "
अपनी धुन में,
सबको नचाए।
जिनका सदन,
वृन्दावन कहलाए।
उनके प्रिय मित्र,
दामा, श्रीदामा,
सुदामा, वासुदामा कहलाए।
सुदामा, वासुदामा कहलाए।
गोकुल और वृन्दावन में ,
होली बहुत प्रसिद्ध है,
क्योंकि वह राधा-कृष्णा से सम्बंधित है।
-तूलिका तिवारी
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